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क्या शारीरिक शोषण के बाद ही मिलती है महिला को नौकरी !!

sexual harassement in officeमहिलाओं के साथ शारीरिक शोषण होना कोई आज की बात नहीं है. महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों का बहुत व्यापक इतिहास है. इस इतिहास में ना सिर्फ बाहरी लोगों द्वारा उनके सम्मान के साथ खिलवाड़ जैसी घटनाएं विद्यमान हैं बल्कि पारिवारजनों की घृणित और विकृत मानसिकता भी महिलाओं के इस दयनीय सामाजिक इतिहास में निंदनीय लेकिन उल्लेखनीय स्थान रखती है.


समय बदलने और आधुनिक होते सामाजिक हालातों के कारण भले ही अब महिलाओं के हितों के लिए भी आवाज उठाई जाने लगी हो, उनकी स्वतंत्र पहचान और उपस्थिति को स्वीकार्यता मिलने लगी हो लेकिन उनके वास्तविक हालातों में कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं आया है. पहले जहां वह घर की चारदीवारी को ही अपनी दुनियां समझ, पिता या पति के संरक्षण में अपना जीवन बसर करती थीं लेकिन आज उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहने के उद्देश्य से घर के बाहर कदम निकालना शुरू किया है. किंतु हम बस यही कह सकते हैं कि घर हो या बाहर महिलाओं को हमेशा एक भोग की वस्तु से अधिक और कुछ नहीं समझा गया है. परिवार में पति या फिर किसी निकट संबंधी द्वारा उसके सम्मान को ठेस पहुंचाने जैसे अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं. परिवार वाले ऐसी घटनाओं को घरेलू मसला कहकर भले ही टाल दें लेकिन महिलाओं को भावनात्मक रूप से यह कितना आहत करता है, हम इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकते.


पहले के समय में महिलाएं अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों को इसीलिए सहन करने के लिए विवश थीं क्योंकि समाज में पति के बिना किसी महिला का कोई अस्तित्व था ही नहीं. अशिक्षित और दूसरों पर निर्भर होने के कारण महिलाएं समझती थीं कि जीवन जीने और समाज में अपना सम्मान बनाए रखने के लिए हर परिस्थिति में परिवार के साथ रहना ही पड़ेगा. यही कारण है कि जहां विवाह से पूर्व वह अपने पिता के घर में होते भेद-भाव को सहती थीं, वहीं विवाह के पश्चात उन्हें अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों को भी सहन करना ही पड़ता था. महिलाओं को अपने अधीन रखना पुरुषों का शौक रहा है. हर कदम पर उन्हें यह अहसास दिलवाया जाता रहा है कि पुरुष के साथ के बिना महिला का कोई औचित्य नहीं है. माहिलाओं की काबीलियत, उनकी भावनाओं को कभी कोई महत्व नहीं दिया गया.


लेकिन अब पुरुष यह जानते हैं कि आत्म-निर्भर और पढ़ी-लिखी महिलाओं का शोषण और दमन करना इतना आसान नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं है कि पुरुषों ने शोषक की भूमिका को त्याग दिया हो, बल्कि अब वह महिलाओं का शारीरिक शोषण करने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाने लगे हैं.


आज परिवार के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वाह करना महिलाओं की प्राथमिकता तो है ही साथ ही अपने कॅरियर को सही दिशा देना और बढ़ती महंगई जैसे हालातों में परिवार को आर्थिक सहायता देना भी महिलाओं के लिए बहुत जरूरी बन पड़ा है. आज लगभग सभी क्षेत्रों या छोटे-बड़े कार्यालयों में महिलाओं की उपस्थिति देखी जा सकती है. लेकिन ऐसे हालात जहां महिलाओं की परिमार्जित और आत्म-निर्भर होती स्थिति प्रदर्शित करते हैं वहीं पुरुषों को महिलाओं के दमन और शारीरिक शोषण का एक और मौका भी देते हैं.


एक नए अध्ययन के अनुसार अच्छे ओहदे को प्राप्त करने और आय में वृद्धि की चाह रखने वाली महिलाओं के साथ शारीरिक शोषण की संभावना बहुत ज्यादा होती है. लेकिन जब उन्हें अच्छी आय मिलने लगती हैं तो ऑफिस में उनके सम्मान में तो कमी आती ही है साथ ही उनके साथ बुरा बर्ताव भी किया जाता है.


अमेरिकन इकोनॉमिक रिव्यू में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार यह बात सामने आई है कि कंपनी चाहे छोटी हो या बड़ी, ज्यादा आय लेने वाली महिलाओं के साथ गलत व्यवहार होता है.


भारतीय परिदृश्य में अगर इस अध्ययन को देखा जाए तो हम कार्यालयों और अन्य संस्थानों में महिलाओं के साथ होने वाले शारीरिक शोषण को नकार नहीं सकते. जॉब और आय में वृद्धि के नाम पर महिलाओं का दैहिक उपयोग करना पुरुषों की आदत में शुमार है. आए दिन हम जॉब का झांसा देकर महिलाओं के साथ बलात्कार या उनका शारीरिक शोषण जैसी घटनाओं को सुनते हैं. ऐसी घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण पुरुष की संकुचित और अमानवीय मानसिकता है जो किसी असहाय और जरूरतमंद महिला को भी भोग की वस्तु से अधिक और कुछ नहीं देखती. ऐसे हालातों में कुछ महिलाएं मजबूर होकर अपनी देह का सौदा कर देती हैं तो कुछ महत्वाकांक्षी महिलाएं शारीरिक संबंध को अपने उद्देश्य तक पहुंचने का बस एक शॉर्टकट ही समझती हैं. अपने हितों की पूर्ति करने के लिए उन्हें यह सब करना बहुत सामान्य लगता है.


इसी कारण आम जन मानस की यह मानसिकता बन गई है कि महिलाएं इतनी काबिल नहीं होतीं कि वह पुरुष के समान पद पर कार्य करें. इसीलिए ऐसा माना जाता है कि जो जल्दी जॉब पा लेती हैं या अच्छी आय लेने लगती हैं निश्चित रूप से उन्होंने कुछ गलत किया है. ऐसी मानसिकता का शिकार वे महिलाएं भी होती हैं जो स्वयं अपनी मेहनत के बल पर इस मुकाम पर पहुंची हैं. जिसके परिणामस्वरूप ऑफिस में उन्हें कोई आदर नहीं देता बल्कि सिर्फ उपयोग की वस्तु ही समझता है. वहीं दूसरी ओर वे महिलाएं जो कम आय लेती हैं या जॉब के लिए बहुत संघर्ष करती हैं उन्हें ज्यादा सम्मान और आदर दिया जाता है.


इस तथ्य को पूरी तरह नकारना या निरर्थक करार देना समस्या का हल नही है. यह एक हकीकत है कि महिलाओं की जरूरत को समझ पुरुष द्वारा उनका शारीरिक शोषण किया जाता है. लेकिन ऐसे हालातों के लिए जितने उत्तरदायी पुरुष होते हैं उतनी ही महिलाएं भी. पुरुष अपने स्वार्थ के लिए महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहते हैं तो कुछ महिलाएं अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए इसे पूरे मन से स्वीकार कर लेती हैं. लेकिन इसका सीधा खामियाजा उन महिलाओं को भुगतना पड़ता है जो ऐसा करने से मना कर देती हैं या फिर जो अपनी मेहनत और लगन के कारण आगे बढ़ती हैं. जो महिलाएं अपनी देह का सौदा अपनी इच्छा से करती हैं उन्हें आदर मिलना या ना मिलना उनकी जरूरत नहीं होती. वह मात्र भौतिक सुख के लिए अपने सम्मान से किनारा कर लेती हैं. लेकिन वे महिलाएं जिनके लिए उनका सम्मान बहुत महत्वपूर्ण है, उन्हें यह सब कितना परेशान कर सकता है शायद यह सोचना थोड़ा मुश्किल है.


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