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क्या आप नेट पर मौजूद अपने दोस्तों पर विश्वास कर सकते हैं?

net friendsवर्तमान हालातों के मद्देनजर आज हम सभी समय की कमी से दो-चार हो रहे हैं. अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के एवज में हमें दोस्तों और पारिवारिक सदस्यों की भावनाओं को भी अनदेखा करना पड़ रहा है. आज जब सोशल नेटवर्किंग साइट्स प्रमुखता से अपनाई जा रही हैं तो हम नेट पर ही अपने दोस्तों और संबंधियों से बात कर उनका हालचाल जानकर स्वयं को संतुष्ट कर लेते हैं. उल्लेखनीय है कि जहां एक ओर फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटें पुराने संबंधों को बरकरार रखने में हमारी सहायता कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर यह हमें कई नए दोस्तों और लोगों से परिचित होने का एक रोचक और महत्वपूर्ण अवसर भी प्रदान करती हैं.


युवाओं के मामले में ऐसा प्राय: देखा जाता है कि वह अपना सारा काम छोड़कर नेट पर चैटिंग करते हैं या फिर अपनी दिनचर्या में ऑनलाइन मिलने वाले दोस्तों से बात करने के लिए भी एक समय निर्धारित कर लेते हैं. इन्हीं दोस्तों में से वे अपने लिए कुछ विशेष लोगों को चुन लेते हैं जो उनके जीवन में एक विशिष्ट स्थान रखने लगते हैं. कभी-कभार यह दोस्ती आकर्षण का रूप ले लेती है जिसके परिणामस्वरूप संबंधित व्यक्ति एक-दूसरे के साथ ऑनलाइन डेटिंग जैसा संबंध विकसित कर लेते हैं. जरूरी नहीं है कि दोनों व्यक्ति एक ही राज्य या स्थान के हों, इसीलिए मिलना संभव नहीं हो पाता. यही कारण है कि वे पहले नेट पर ही परस्पर अपनी भावनाएं बांटते हैं फिर अपने व्यक्तिगत फोन नंबर सांझा कर लेते हैं. कुछ समय बाद जब उन्हें यह लगता है कि अब वे एक-दूसरे से मिलने के लिए तैयार हैं या समय निकाल सकते हैं, तो वे आमने-सामने मिलने का मौका ढूंढ लेते हैं.


लेकिन वे यह बात भूल जाते हैं कि फोन पर या नेट पर बात करना और व्यक्तिगत रूप से किसी से मिलना और देखना दो अलग-अलग बातें हैं, जिनमें बहुत बड़ा अंतर होता है. नेट के उस पार कौन है, कैसा है, क्या करता है इसे भांप पाना बहुत मुश्किल होता है. आप उसके विषय में केवल उतना ही जान सकते हैं, जितना वह आपको बताएगा या दिखाएगा. यही कारण है कि जिस ऑनलाइन व्यक्ति के प्रति आप इस उम्मीद से आकर्षित हुए कि वही आपके लिए पर्फेक्ट है, जब वह आपके सामने आता है, आपसे बात करता है तो आपको उन दोनों व्यक्तित्व में कोई भी समानता नजर नहीं आती. इसके विपरीत आपको यही लगता है कि यह वो व्यक्ति हो ही नहीं सकता. फोन पर खुद को समझदार और परिपक्व प्रतीत करवाने वाला, हर समय आपका ख्याल रखने वाला व्यक्ति, असल में जब इसके ठीक विपरीत हरकतें करे तो निश्चित रूप से इससे भावनात्मक नुकसान तो पहुंचता ही है. साथ ही आज के युवा जो साथी की खोज में जरा सा समय भी व्यर्थ नहीं बिताना चाहते उनके लिए तो यह समय की असहनीय बर्बादी बन जाती है.

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नॉर्दर्न विश्वविद्यालय और टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी के साझा प्रयासों द्वारा संपन्न एक नए अध्ययन ने यह प्रमाणित किया है कि नेट पर डेटिंग करने वाले लोग जब वास्तविक रूप से एक-दूसरे से मिलते हैं, तो उनके अलग होने और कभी बात ना करने की संभावना सबसे अधिक होती है.


इस अध्ययन से जुड़े मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि व्यक्ति उसी के साथ डेटिंग करता है जिसमें उसे अपने भावी साथी की खूबियां नजर आती हैं. नेट पर तो कोई भी कैसा भी व्यवहार कर सकता है, इसीलिए जब वे एक-दूसरे से आमने-सामने मिलते हैं तो उन्हें उन विशेषताओं और अपेक्षाओं का परिचय नहीं होता. जिसके परिणामस्वरूप वे दोनों अलग हो जाते हैं.


इस स्टडी के सह शोधकर्ता फिंकल का कहना है कि व्यक्ति का समग्र व्यवहार और चरित्र उसकी कुछ खूबियों पर हावी हो जाता है. इसीलिए किसी व्यक्ति से लगातार बात करने से अगर आपको वो महत्वाकांक्षी या खूबसूरत लगता है तो ऐसा कतई जरूरी नहीं है कि आमने-सामने मिलने पर भी आप उसे उतना ही आकर्षक और प्रभावशाली महसूस करें. इसीलिए किसी से नेट पर मिलने और पसंद करने के बाद अगर आप उसे व्यक्तिगत रूप से मिलने की योजना बना रहे हैं तो यह भी हो सकता है कि नेट और फोन पर खुद को सकारात्मक प्रदर्शित करने वाला व्यक्ति व्यक्तिगत तौर पर आपकी उम्मीदों के बिलकुल उलट हो. इसलिए परिणाम कैसे भी मिलें आपको उनके लिए तैयार रहना चाहिए.


इस विदेशी अध्ययन को अगर हम भारतीय परिप्रेक्ष्य के आधार पर देखें तो यहां भी ऑनलाइन डेटिंग का चलन अपने चरम पर है. हमारे युवा नेट पर दोस्तों का नहीं डेटिंग पार्टनर का इंतजार करते हैं. आजकल सोशल साइटों को चलाने के लिए भी आपको कंप्यूटर पर बैठने की जरूरत नहीं पड़ती. अत्याधुनिक तकनीकों से लैस स्मार्ट फोन और आई-पैड यह काम और आसान कर देते हैं. जिनका उपयोग आप किसी भी जगह बड़ी आसानी से कर सकते हैं. यही कारण है कि आज आए-दिन लोगों की फ्रेंड लिस्ट में नए-नए नाम जुड़ते रहते हैं. वे उन्हीं के प्रति भावनाएं रखते हैं और फिर संबंध बना लेते हैं. लेकिन क्या हम हमसे कोसों दूर बैठे किसी व्यक्ति के विषय में इतनी जानकारी रख सकते हैं कि उसके प्रति भावनात्मक लगाव महसूस करने लगें.

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आज के समय में जब सभी आत्म-केंद्रित होते जा रहे हैं, संबंधों का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए करने लगे हैं, ऐसे हालातों में आप उस व्यक्ति के विषय में तो जान नहीं सकते जिससे आप लगातार मिलते हैं और लंबे समय से जानते हैं, तो फिर कोई कैसे नेट पर मौजूद अपने पार्टनर पर विश्वास करता है और उससे समान भावनाओं और प्रेम की उम्मीद रख सकता है?

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