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बच्चों की मानसिकता को दूषित करते हैं रियलिटी शो

bad impacts of reality showsएक समय पहले तक जब टेलीविजन पर मनोरंजन के नाम पर समाचार या फिर दिन में एक समय गानों का कार्यक्रम प्रसारित होता था, उस समय शायद ही किसी ने यह कल्पना की होगी कि बदलते समय के साथ-साथ मनोरंजन के क्षेत्र में इस हद तक विस्तार हो जाएगा कि आपके लिए यह निर्णय लेना भी मुश्किल हो जाएगा कि आप कौन सा प्रोग्राम देखना चाहते हैं. टेलीविजन चैनलों में विस्तार होने के साथ प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की विषयवस्तु में भी कई तरह के प्रयोग किए गए. सूचना प्रधान कार्यक्रमों से लेकर सास-बहू सीरियल तक लगभग सभी विषयों को कार्यक्रमों का रूप देकर प्रसारित किया जा चुका है.


प्राय: देखा गया है कि टेलीविजन पर आने वाले कार्यक्रमों का व्यक्ति के मस्तिष्क पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है कि वह स्वयं को सीरियल के पात्र के साथ जोड़कर देखने लगता है. विशेषकर महिलाएं तो संवेदनशील दृश्यों में रोना तक शुरू कर देती हैं. सीरियल की नायिका की तरह कपड़े पहना और सजना-संवरना भी उन्हें बहुत पसंद होता है.


वैसे तो अधिकांश टी.वी. सीरियल महिलाओं को केन्द्र में रखकर ही बनाए जाते हैं लेकिन वर्तमान समय में युवाओं को आकर्षित करने का काम भी बहुत जोर-शोर से जारी है. युवाओं को अपेक्षाकृत अधिक उत्साही और रोमांचक माना जाता है. उनके उत्साह को भुनाने और अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए टी.वी. चैनलों पर रियलिटी शो जैसे कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाने लगा है. यह अपने आप में एक अनोखा प्रयोग है. तथाकथित रियलिटी कार्यक्रमों में विषयवस्तु के अनुसार प्रतिभागियों के निजी जीवन को दर्शकों के समक्ष रख दिया जाता है.


लोगों को आकर्षित करने के लिए लड़ाई-झगड़ा, धोखेबाजी आदि इन कार्यक्रमों की सबसे पहली जरूरत होती है. अब यह सब पहले से ही निर्धारित होता है या वास्तव में लोगों के जीवन की रियलिटी होती है, यह तो पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन एक बात जिसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते वो यह है कि इन कार्यक्रमों का हमारे युवाओं के मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है.


एक नए अध्ययन के अनुसार रियलिटी शो में दिखाई जाने वाली कहानी और विषय वस्तु युवाओं विशेषकर युवा लड़कियों के व्यक्तित्व और मानसिकता पर बहुत गहरा प्रभाव डालती है.


अमेरिका के गर्ल्स स्काउट्स रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में लगभग 11,000 लड़कियों को शामिल किया गया. इस अध्ययन के नतीजों की मानें तो रियलिटी शो देखने वाली और ना देखने वाली लड़कियों की मानसिकता में बहुत अधिक अंतर होता है.


इस संस्थान की मुख्य शोधकर्ता किम्बरली साल्मण्ड का कहना है कि युवा लड़कियां रियलिटी शो में दिखाए जाने वाले घटनाक्रम को सही मान लेती हैं और अपने जीवन को उसी दृष्टिकोण से देखने लगती हैं.


इस सर्वेक्षण में शामिल लड़कियों में से, जो रियलिटी शो को देखना पसंद करती हैं, उनमें से 78% ने यह स्वीकार किया है कि संबंधों के विषय में गपशप करना एक स्वाभाविक बात है. वहीं 64% लड़कियां रियलिटी शो से प्रभावित होकर युवकों को आकर्षित करना और उनके लिए दूसरी लड़कियों से झगड़ा करना तक जरूरी समझने लगती हैं.


आमतौर पर रियलिटी कार्यक्रमों में युवाओं को झूठ बोलना और अपनी जिद पूरी करने के लिए अभिभावकों से झगड़ा करना दर्शाया जाता है. इन्हीं सब घटनाओं से प्रभावित होकर किशोरवय लड़कियां यह मानने लगती हैं कि अपनी जरूरतों के हिसाब से झूठ बोला जाना गलत नहीं होता. उल्लेखनीय है कि 64% लड़कियां तो यह भी मानती हैं कि रियलिटी शो उन्हें नए-नए विषयों की जानकारी प्रदान करता है.


भले ही यह विदेशी युवतियों की मानसिकता पर आधारित स्टडी हो लेकिन भारतीय परिदृश्य में भी इसके नतीजे जस के तस लागू होते हैं. रियलिटी शो की हकीकत से अनभिज्ञ युवा उसमें दिखाए जाने घटनाक्रम को सही समझते हैं. उसे अपने जीवन के साथ जोड़ना शुरू कर देते हैं. निश्चित रूप से इसके नतीजे उनके लिए घातक सिद्ध होते हैं. कई बार हालात इतने ज्यादा नकारात्मक हो जाते हैं कि उन पर नियंत्रण रख पाना तक मुश्किल हो जाता है. रियलिटी शो में हकीकत का नाम देकर फूहड़ता को प्रदर्शित करना कोई नई बात नहीं हैं लेकिन इसका बच्चों के चरित्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. रियलिटी शो में दिखाए जाने वाली कहानियों पर विश्वास करना उनकी मानसिकता को दूषित करने के साथ-साथ परिवार और समाज को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. इसीलिए बच्चों के लिए रियलिटी शो को मनोरंजन की नजर से ही देखना बेहतर होगा. इसके अलावा अभिभावकों का भी कर्तव्य बन जाता है कि वह अपने बच्चों को रियलिटी शो और उससे जुड़ी सच्चाई से अवगत करवाएं. इतना ही नहीं उनके हर बर्ताव पर अपनी नजर रखें और अगर वह कुछ गलत करते हैं या करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें समझाएं.

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