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नीरस जीवन में खुशियां भरता रोशनी का त्यौहार दीपावली

happy diwaliभारत की तरह पूरे विश्व में शायद ही ऐसा कोई राष्ट्र हो जहां लगभग सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं. भारत में किसी विशिष्ट धर्म को नहीं अपनाया गया है इसीलिए यहां सभी धर्मों के अनुयायियों को अपना धर्म पालन करने और अपने त्यौहारों को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाने की स्वतंत्रता है. जब तक उनकी यह स्वतंत्रता अन्य धर्मों या सामाजिक सौहार्द के क्षेत्र में बाधा उत्पन्न नहीं करती तब तक वह जैसे चाहे अपने त्यौहारों को मना सकते हैं.


कुछ ही दिनों में दीपावली का पर्व आने वाला है. दीपावली हिंदुओं के पवित्र त्यौहारों में से एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ बुराई रूपी रावण का वध कर वापस अपने राज्य अयोध्या लौटे थे. उनके वापस आने पर अयोध्या वासियों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कर अपनी खुशी जाहिर की थी. पूरा राज्य दिए की रोशनी से जगमगा उठा था.


वर्षों से चली आ रही इस परंपरा का अनुसरण आज भी उसी तन्मयता और हर्षोल्लास के साथ किया जाता है. दीपावली के उपलक्ष्य में व्यक्ति अपने निकट संबंधियों और दोस्तों को मिठाई और तोहफे उपहार में देता है. दीपावली से कुछ दिन पहले से ही सभी घरों के बाहर रोशनी की जगमगाहट दिखाई देने लगती है. मान्यता है कि दीपावली के दिन धन-वैभव की देवी लक्ष्मी का घर में आगमन होता है इसीलिए दीपावली के उपलक्ष्य में घरों में साज-सज्जा और सफेदी का काम भी पूरे जोश के साथ शुरू हो जाता है. साफ और आकर्षक घर को लक्ष्मी जी के आगमन का रास्ता मानते हैं इसीलिए सभी लोग अपने घरों और दुकानों को बजट के अनुसार तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते.


वर्तमान समय में त्यौहारों की उपयोगिता पहले की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ गई है. अब दीवाली जैसे त्यौहार आध्यात्मिक से ज्यादा सामाजिक महत्व रखते हैं. धन आगमन की कामना के अलावा यह पर्व नीरस होते जीवन में रंग भरने के लिए भी मनाए जाते हैं. आधुनिक होते परिवेश में व्यक्ति अपने काम की व्यस्तता के चलते ना तो स्वयं के लिए समय निकाल पाता है और ना ही अपने जीवन के महत्वपूर्ण लोगों, जैसे संबंधी और दोस्तों, को ही अपना समय दे पाता है. ऐसे में त्यौहार, विशेषकर दीपावली संबंधों को एक बार फिर सजीव करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है. त्यौहार के बहाने ही सही लोग एक-दूसरे से मिलकर अपनी भावनाओं और प्रेम का आदान-प्रदान करते हैं. पारस्परिक संपर्क के लिए चाहे पूरे साल वह फोन और इंटरनेट जैसी आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाएं लेकिन दीपावली के दिन वह आपस में मिलने का एक अवसर तलाश ही लेते हैं. मिठाई के बहाने वह अपने बीच के गिले-शिकवों की कड़वाहट को भी समाप्त करने का प्रयास करते हैं.


दीपावली से पहले धन-तेरस और भाई-दूज जैसे त्यौहार भी आते हैं. तीन त्यौहार साथ आने के कारण उन लोगों को काफी सहूलियत मिल जाती है जो अपने परिवार और दोस्तों से दूर कहीं बाहर नौकरी करते हैं. दीपावली निकट संबंधियों के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है इसीलिए सभी लोग अपने घर जाकर त्यौहार का आनंद उठाते हैं. इससे उन्हें काम के तनाव से मुक्ति मिलती है और अपने संबंध की गरमाहट भी.


दीपावली के स्वरूप में एक अंतर यह भी आया है कि पहले जहां मोमबत्ती और मिट्टी के दीए जलाकर दीपावली की खुशियां बांटी जाती थीं, वहीं अब इनका स्थान रंग-बिरंगी झालरों एवं तरह-तरह के रोशनियों ने ग्रहण कर लिया है. दीयों का स्वरूप और बनावट भले ही बदल गई हो लेकिन दीयों की रोशनी आज भी किसी अन्य जगमगाहट की मोहताज नहीं है.


उल्लेखनीय है कि त्यौहार जितना संबंधों को मजबूत बनाते हैं उतना बाजारवाद को भी बढ़ावा देते हैं. दीपावली के उपलक्ष्य में विभिन्न और आकर्षक उपहारों की बहार सी छा जाती है. सभी दुकानदारों की यही कोशिश रहती है कि वह अधिक से अधिक धन अर्जित कर सकें. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बदलते समय के साथ-साथ दीपावली का त्यौहार धन कमाने का भी एक उत्तम अवसर है.


लेकिन इस हर्षोल्ल्सास और साज-सज्जा के बीच अमावस्या के दिन आने वाला यह रौशनी का त्यौहार हमें क्या संदेश देता है इस तरफ शायद हम ध्यान देना भूल जाते हैं. व्यक्ति घर के भीतर तो रंग-रोगन और सफाई करवा देते हैं, लेकिन अपने भीतर की सफाई को कोई महत्व नहीं देता. दूसरे के प्रति ईर्ष्या-द्वेष जैसी भावना को त्यागना इस त्यौहार का सबसे प्रमुख उद्देश्य है, लेकिन व्यक्ति बस अपने घर को ही सजाना चाहता है. बाहरी दिखावा कर वह स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ दिखाने की कोशिश करता है. घर के बाहर रोशनी करने के लिए वह चाहे कितना धन व्यय करता हो, पर जब अपने भीतर की रोशनी की बात आती है तो उसे कभी अपने अंदर कमी नजर नहीं आती. एक सफल और प्रतिष्ठित जीवन पाने के लिए जरूरी है कि आप अपने भीतर छुपी बुराइयों को परखें और उसे समाप्त करने की कोशिश करें. दूसरों में खोट निकालना कोई बड़ी बात नहीं है, अगर आप अपनी कमियों को स्वीकार करते हैं तो निश्चित रूप से यह कृत्य प्रशंसनीय है.


दीपावली का त्यौहार जीवन की जटिलताओं में उलझे व्यक्ति को उम्मीद और प्रेरणा देता है. जिस तरह काली अंधेरी रात में दिए की एक लौ अंधेरे को चीर सकती है. उसी प्रकार अंधकार भरे जीवन में उम्मीद रूपी दिए की एक छोटी सी लौ निराश व्यक्ति को सहारा देने के साथ-साथ मंजिल का रास्ता भी दिखा सकती है.


भले ही त्यौहार मनाने का तरीका बदल गया हो, उनका स्वरूप बदल गया हो, लेकिन त्यौहारों की अहमियत अभी भी बरकरार है. अगर इससे पहले आपने कभी दीपावली के छुपे हुए महत्व को नहीं समझा तो इस बार उसे समझने और उस पर अमल करने की कोशिश जरूर करें.


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