आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में एक इंसान को यह समझ में नहीं आ पा रहा है कि वह परिवार को वरीयता दे या फिर पैसे के आगे सर झुकाए. किसी भी घर परिवार को चलाने के लिए इन दोनों तत्वों का होना बहुत ही जरूरी है. ये एक-दूसरे के पूरक हैं जिसके बिना खुशहाल जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. “घर परिवार के ख्वाब सबने संजोए लेकिन पैसे के बिना पूरे कहां से होए” इस तकनीकी युग में इंसान के पास कम समय होने की वजह से इन दोनों तत्वों में द्वंद पैदा हो चुका है.
परिवार बनाम पैसा : आज के इस समाज में पैसा और परिवार एक-दूसरे के विरोधी हो चुके हैं. पैसे कमाने की आंधी ने परिवार को बिखेर कर रख दिया है. संयुक्त परिवार तो पूरी तरह खत्म ही हो चुके हैं. बच्चों को भविष्य में बेहतर जीवन जीने और सभ्य नागरिक बनने का प्रशिक्षण संयुक्त परिवार में ही मिलता था लेकिन अब वह धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. पैसे और अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की होड़ ने संयुक्त परिवार को एकल परिवार में बदल दिया है.
आमतौर पर संयुक्त परिवार में कमाई का साधन एक कॉमन दुकान, परंपरागत बिजनेस या भवन से आने वाला किराया होता था लेकिन महंगाई के दौर में सुख-सुविधाओं को पाने की होड़ में संयुक्त परिवार के लिए यह कमाई भी कम पड़ने लगी जिससे संयुक्त परिवार के सदस्य बिखरने लगे. परिवार के सदस्य अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए शहरों की ओर मुड़े और धीरे-धीरे शहर की जीवनशैली में लिप्त होकर पैसे के पीछे भागने लगे.
पैसे की होड़ एकल परिवार तक ही नहीं रुकी. आदमी की इच्छाएं और आवश्यकताए दिनों-दिन बढ़ने लगी हैं. आज एक नया ट्रेंड देखा जाने लगा है कि व्यक्ति एकल परिवार में भी सुविधाजनक स्थिति में नहीं है. लोग अब एकल परिवार के बजाय एकाकी जीवन ज्यादा जीने लगे हैं. फलतः जो थोडा-बहुत प्यार एकल परिवार में था वह भी समाप्त होने लगा है. व्यक्ति के जीवन में पैसे होने और परिवार न होने की वजह से जीवन बेरंग हो रहा है. इस तरह पैसे की होड़ इंसान के महत्त्व को कम कर रही है.
हमें यह सोचना चाहिए कि सुख-सुविधाओं के होड़ में कहीं न कही हम जीवन की आवश्यक और मूलभूत चीजें भूलते जा रहे हैं. यह जरूर है कि जीवन को समृद्ध और संपन्न बनाने के लिए पैसे की अपनी अनिवार्यता है. लेकिन यह भी जरूरी है कि इन पैसों के पीछे जो परिवार का प्यार छुपा हुआ है उसे ना भूलें. पैसा तो खर्च हो जाता है और उसे दुबारा कमा भी सकते हैं लेकिन घर-परिवार का प्यार एक बार ख़त्म हो जाए तो दुबारा प्राप्त करना मुश्किल है. अगर हम दोनों तत्वों में तालमेल बिठा कर चलें तो जीवन में इस तरह की समस्या नहीं आएगी और जीवन खुशहाल और आनंददायक हो सकता है.
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