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क्या सरकार संस्कारों को मिटा देगी


पहले गे कानून को हरी झंडी देकर और फिर लिव इन रिलेशनशिप में नित नए कानून जुड़वाने के बाद लगता है सरकार अब वयस्कों के साथ बच्चों को भी बक्शने के मूड में नहीं है. सरकार के एक नए बिल में यह पेशकश की गई है कि बच्चों में सेक्स करने की उम्र को घटाकर 12 साल कर दी जाए. लगातार गिरते नैतिक मूल्यों में ऐसा कानून और प्रावधान समाज के लिए नए खतरे पैदा कर सकता है और सरकार में बैठे जनता के नुमाइंदों को तो अपने बाजार से मतलब है.

childदरअसल हुआ यह है कि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस बिल, 2010 के एक ड्राफ्ट के मुताबिक, 12 साल के बच्चों को अपनी उम्र के बच्चों के साथ बिना-इंटरकोर्स के सेक्स (नॉन-पेनेट्रेटिव) की कानूनन अनुमति होगी. बच्चोंट को यौन अपराधों से सुरक्षा दिलाने संबंधी इस बिल का मसौदा केंद्र ने सभी राज्योंर को भेज दिया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से भेजे गए इस मसौदे पर राज्योंद से उनकी राय मांगी गई है. नए बिल (जिसका खंडन किया गया है) के मसौदे के तहत आपसी सहमति से सेक्स के लिए आयु सीमा 12 साल होगी अर्थात 12 साल के बच्चे आपसी रजामंदी से सेक्स कर सकेंगे. इसके मुताबिक 12 से 14 साल की आयु समूह के मामले में जोड़ीदार की उम्र में दो साल का अंतर होना चाहिए जबकि 14 से 16 साल के आयु समूह के मामले में यह अंतर तीन साल का होना चाहिए.

अब तक बच्चों के यौन उत्पीड़न के सभी मामलों में मुकदमा आईपीसी की धारा 375 और 377 के तहत चलाया जाता था. आईपीसी की धारा 375 में भी सेक्स के लिए सहमति की न्यूनतम आयु 16 वर्ष निर्धारित है, लेकिन बच्चों से जुड़े अपराधों का खास तौर पर उल्लेख नहीं है.

भारत में मौजूदा कानून के तहत आपसी सहमति से सेक्सस के लिए वयस्कम यानी 18 साल का होना जरूरी है. और सरकार ऐसा फैसला पश्चिमी देशों को देखते हुए ले रही है. अमेरिका में आपसी सहमति से सेक्सम करने की आयु सीमा 16 से 18 साल है. यूरोपीय देशों में स्पेअन में 13 साल के बच्चों को आपसी सहमतिम से सेक्सम की इजाजत है और हमारे पड़ोसी पाकिस्तांन में आपसी सहमति से सेक्सस के लिए आयु पुरुष के लिए 18 साल और महिला के लिए 16 साल है. चीन में यह आयु सीमा 14 साल है.

सरकार सेक्स की उम्र करने की उम्र कम कर करके अपराध कम तो करना चाहती है पर उसे यह नहीं दिख रहा कि इससे समाज में कितनी गंदगी फैलने लगेगी. बच्चें सेक्स करने को अपन अधिकार मान बैठेंगे और ऐसे में तमाम स्वास्थ्य समस्याओं के साथ आपराधिक मामलों में भी बढ़ोत्तरी होगी. ऐसे प्रावधान लाकर सरकार समाज में वेश्यावृत्ति को भी पनपने में सहायता प्रदान करती दिखती है. यानि जिसे सरकार समाज के लिए एक बेहतर हथियार मान रही है उसके साइड इफेक्ट इतने हैं कि पहली नजर में ही बिल को मंजूरी नहीं दी जा सकती.

सरकार यूं तो हर मुद्दे पर विफल हो रही है और ऐसे में अगर यह बिल पास होकर आ जाता है तो देश में अपराधों की संख्या और बढ़ जाएगी जिसे संभालना सरकार के बस में नहीं होगा. और सबसे पहली बात कि ऐसे प्रावधान रखने की कोई सरकार सोच ही कैसे सकती है. क्या जो पश्चिमी देश कर रहे हैं वैसा हर जगह करना उचित है? हमारी भी एक संस्कृति है, ऐसे लोगों के अगर मंसूबे कामयाब होते हैं तो वह दिन दूर नहीं जब भारत में भी अश्लीलता का नंगा नाच होगा.

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