Menu
blogid : 316 postid : 579

ज्ञानवान समाज – साक्षरता से शिक्षा की ओर

Education in India विकास के पथ पर दौड़ते कदम, प्रगतिशील समाज की रचना और भविष्य सुदृढ़ बनाने की कल्पना किसी भी राष्ट्र को सामाजिक और आर्थिक पहलुओं पर अग्रिम पंक्ति में खड़ा करती है. आजादी से अब तक हमने बहुमुखी विकास किया है. विकासशील देश से विकसित देश बनने की चाह ने हमको नित नवीन आयामों पर कार्य करने की प्रेरणा दी जिसका हमें फल भी मिला. लेकिन आंशिक फल के आधार पर हम पूरी राष्ट्र व्यवस्था में बदलाव नहीं ला सकते.

भारतवर्ष ! अलग – अलग समुदाओं का घरौंदा जिसका आदर्श अनेकता में एकता है हम भारतवासियों को सशक्तिकरण प्रदान करता है. भारतीय जनसंख्या खासकर युवा समुदाय की भरमार हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है. कहना गलत नहीं होगा कि युवा देश की आधारशिला होते हैं. परन्तु जैसे की कथनी और करनी में फ़र्क होता है वैसे ही अगर युवा शक्ति का प्रयोग उचित दिशा में नहीं हुआ तो इससे विकास की बजाय विनाश हो सकता है.

सरकार की नीतियों में शामिल युवा समाज का उत्थान राष्ट्र कल्याण में एक अहम कदम था. इन नीतियों के अंतर्गत सर्व शिक्षा अभियान और साक्षरता मिशन ने एक ऐसे समाज की कल्पना की जो ज्ञानवान हो वर्तमान और भविष्य से अवगत. राष्ट्र उत्थान को बल देती हुई शिक्षा जिसमें ज्ञान को आधार माना गया था. लेकिन दशकों बाद भी यह सोच केवल कल्पना मात्र रह गयी है क्योंकि आज हम साक्षर तो हैं लेकिन ज्ञान से वंचित.

ज्ञानवान समाज – एक चेष्ठा समाज कल्याण की

Literacy ज्ञानवान समाज के निर्माण की धारणा अब कोई विमर्श का विषय नहीं रह गया है. आज हम साक्षर हैं लेकिन ज्ञान से अंजान. साक्षरता और शिक्षा में सबसे बड़ा अंतर विश्लेषण क्षमता का होता है. साक्षरता का आधार शिक्षा अर्जित करना होता है और शिक्षा का आधार ज्ञान. हम पढ़ लिख तो सकते हैं लेकिन किसी चीज़ की व्याख्या नहीं कर सकते.

भारतीय विद्यालयीन शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता पर आधारित एएसईआर के एक अध्ययन से पता चलता है कि 38 प्रतिशत बच्चे छोटे-छोटे वाक्यों वाला पैराग्राफ नहीं पढ़ सकते और 55 प्रतिशत सामान्य गुणा–भाग नहीं कर सकते. बुनियादी शिक्षा में विस्तार तो हुआ है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की चेष्टा तक नहीं हुई है.

ज्ञान के विकास और प्रचार में इन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए

• बुनियादी शिक्षा प्रणालियों सुविधाओं में सुधार लाना
• ज्ञान की धारणा को चालित करना
• ज्ञान के सृजन के लिए विश्वस्तरीय शैक्षिक वातावरण का विकास करना
• ज्ञान के उपयोग को प्रोत्साहन देना

हम साक्षर हैं लेकिन शिक्षित नहीं

Students In Indiaसुझाव और निष्कर्ष वही दे सकता हैं जो चीजों का विश्लेषण कर सके. किसी चीज़ के विश्लेषण के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है ज्ञान. आज देश में विशाल असमानता दिखाई दे रही हैं जिसका कारण ज्ञान प्राप्ति के लिए पक्षपातपूर्ण रवैया है. शिक्षा का मतलब केवल पढ़ना लिखना और बाहरवीं कक्षा पास करना नहीं होता. शिक्षा का अर्थ होता है ज्ञान अर्जित करना. रट्टा लगाने से तोता भी बोलने लगता है लेकिन तोता किसी को ज्ञान नहीं दे सकता. पढ़ लिखकर हम साक्षर तो बन जाते हैं लेकिन ज्ञान अर्जित नहीं कर पाते. स्थिति ऐसी हो जाती है कि पढ़ने- लिखने के बाद भी हमें नौकरी नहीं मिलती.

आज हमारा देश विकास के पथ पर अग्रसर है और ऐसी स्थिति में विकास को गति देने के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली के गठन की आवश्यकता हैं जो नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा दे सके और बढ़ती अर्थव्यवस्था की कौशल आवश्यकताओं को पूरा कर सके.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh