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गैर विवाहित जीवन में रोमांस का फंडा

बदले समय के साथ बदल रहा है आज का युवा. कल तक जिस युवा को हम कॅरियर की राह में अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार मानते थे वह बेशक आज भी कॅरियर के लिए अपना सब कुछ समर्पण करने को तैयार है पर नित नए ट्रेंड और आने वाले कल को दांव पर लगा युवा ऐसे कई कदम उठा रहे हैं जो चिंताजनक हैं.


आजकल युवाओं में बिना विवाह एक साथ रहना यानि लिव इन रिलेशनशिप में रहना और शादी से पहले रोमांस की प्रवृति में बढ़ोत्तरी हो रही है. पश्चिमी सभ्यता और तथाकथित आजादी की मांग में युवा अपने आप को हर तरफ से मुक्त पाना चाहते हैं. आजादी की राह में चलते हुए बोर्डिंग स्कूल से हॉस्टल और फिर कॅरियर की तरफ जाते हुए वह हमेशा अकेले और आजाद रहना चाहते हैं. पर वक्त के साथ शरीर की भी कुछ मांग होती है. कॅरियर संवारने की दौड में युवा अपनी शादी को काफी लंबे समय तक खींचते हैं. अक्सर मेट्रोज में लड़के-लड़कियां 30-35 के बाद ही शादी करते हैं. इसका परिणाम शादी के उनकी सेक्स लाइफ पर साफ नजर आता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए युवा शादी तक का इंतजार करते हैं.


शादी से पहले मां बनो, तभी होगा विवाह !!


34 वर्ष की सुनीता जो एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में सहायक मैनेजर की पोस्ट पर हैं  लेकिन अब तक शादी के बंधन में बंधी नहीं हैं. और वह मानती हैं कि शादी के बिना ही वह आजाद हैं और वह अपनी आजादी को खोना नहीं चाहती पर सेक्स के मामले में उनका कहना है कि शारीरिक संबंध बनाने या रोमांस के लिए शादी की जरुरत नहीं बस एक प्रेमी होना ही काफी है. और यह सोच सिर्फ सुनीता की नहीं बल्कि उन अधिकतर युवा लोगों की है जो शादी से दूर रहते हैं और बिना शादी ही सेक्स और शारीरिक संबंधों की दुनिया में जीते हैं.


युवा पीढ़ी अपने आप को रिश्तों से तो दूर रखती है पर अपने प्रेमी या साथी के साथ सेक्स संबंध बनाने में बिलकुल भी पीछे नहीं हटती. और यह ट्रेंड लड़कों में ही नहीं बल्कि लड़कियों में भी पाया जाता है. आजकल लड़कियां भी 30 से 35 की उम्र में शादी करती हैं और तब तक अपने प्रेमी या साथी के साथ अंतरंग पलों का भरपूर आनंद उठाती हैं. और ऐसे में गर्भनिरोधक गोलियों “पिल्स” ने उन्हें हर तरह की आजादी प्रदान कर दी है.


दरअसल आजकल के युवा अपनी आजादी छिनने नहीं बल्कि परिवार के बोझ से बचने के लिए शादी से भागते हैं. बचपन में बोर्डिंग स्कूल और बाद में हॉस्टल में रहने के कारण वह परिवार की अहमियत और सामाजिक दायित्व को सही से समझ नहीं पाते. उनके लिए परिवार से ज्यादा उनका कॅरियर मायने रखता है. परिवार और समाज की समझ देने के लिए बुजर्गों का साथ रहना जरुरी है जो आजकल की सिंगल फैमली में संभव नहीं हो पाता. कई बार मां-बाप को देखते हुए बच्चे भी उनकी तरह सिंगल रहना पसंद करते हैं.


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यह ट्रेंड एक समय के लिए तो सही होता है. जब तक आप जवान हैं तब तक आपको सभी सुख मिलेंगे. आजाद रहकर अपने कॅरियर को आगे बढ़ाने का मौका, लेकिन उम्र की जिस दहलीज पर आपको सहारे की जरुरत होगी वहां आप तन्हा महसूस करेंगे. शादी के बाद भी अगर पति-पत्नी के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिग है तो कॅरियर को आगे बढ़ाया जा सकता है और सेक्स लाइफ को तो शादी के अलावा किसी दूसरे रिलेशनशिप में एंज्वाय किया ही नहीं जा सकता.


यह मुद्दा हर उस परिवार के लिए महत्वपूर्ण है जिनके बच्चे हॉस्टल या कॅरियर बनाने के लिए अकेले रहते हैं. इस मामले में चाहे युवाओं की सोच कैसी भी हो पर आपका एक कदम उनकी सोच को बदल सकता है. आप क्या सोचते हैं?

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