एक शादीशुदा औरत की कई ऐसी पहचान होती है जो प्राचीन समय से ही समाज की एक पहचान बनी हुई है. माथे पर सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, हाथों में चूड़ियां और साड़ी भारतीय औरत की पहचान हैं. कहने को तो यह सभी आभूषण और श्रृंगार औरतों की शालीनता और मर्यादाओं को दर्शाते हैं लेकिन यह भी एक सच है कि आज की आधुनिक नारी इसके खिलाफ है.
कलयुग के इस दौर में जहां हर तरफ आपको पश्चिमी सभ्यता के नाम पर लोग अपनी अराजक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में जुटे हैं वहीं भारत में अब भी महिलाएं और समाज एक मर्यादा के बंधन में बंधा हुआ है. हां, यह बंधन अब जरुर थोड़ा कमजोर हो अराजक लगने लगा है लेकिन यह समाज में होने वाले परिवर्तन का असर कहा जाता सकता है. आज समाज के विकास में आदमी के साथ औरतों का भी समान हाथ है. एक नारी अपना सारा ध्यान लगा एक परिवार को सफल बनाने के साथ बाहर निकल कर काम करने में भी सफल हो रही है.
नारी सशक्तिकरण में इस दौर में अब कुछ समस्याएं भी आने लगी हैं. महिलाएं जिस चीज को पहले अपना आकर्षण और श्रृंगार मानती थीं अब वहीं चीजें अब उसे दासता की निशानी लगने लगे हैं.
सिंदूर और बिंदी दो चीजें जो शादीशुदा नारी की पहचान होती है वह एक तरह से कथित समाजवादियों की नजर में दासता की निशानी है. वैसे ऐसा नहीं है कि आज हर नारी बिंदी और सिंदूर का उपयोग उस तरह से करती है जैसे हमारी दादी और माता-पिता के जमाने में करते थे. स्टाइलिश बिंदी और सिंदूर लगाने के नए तरीके होने के बाद भी आधुनिक नारी इसे दासता का प्रमाण मानती है.
वैसे अगर देखा जाए तो महिलाओं का ऐसा मानना भी गलत नहीं है. सिंदूर लगाने भर से किसी को विवाहिता मान लेना या ना मानना समाज का ही नजरिया है अब अगर इसे कोई न मानें तो इसमें गलत ही क्या. सिंदूर लगाने से पहले तो कई बार स्त्रियों को स्वास्थ्य समस्यायों जैसे चर्म रोग आदि और दूसरा जिन स्त्रियों को कॉरपोरेट जगत में काम करना होता है उन्हें बहुत दिक्कत पेश आती है. सिंदूर दर्शाता है कि वह पुराने विचारों से ग्रस्त हैं और कॉरपोरेट जगत में उन्हें गंवार सा समझा जाने लगता है.
हालांकि एक शोध के अनुसार जो स्त्रियां सिंदूर या अन्य कोई विवाहित निशानी पहन कर रखती हैं उनके साथ छेड़छाड़ जैसी घटनाएं बहुत कम होती हैं.
उपरोक्त सभी बातों और तथ्यों पर नजर डालें तो पाएंगे कि नारी के लिए सिंदूर, बिंदी या अन्य कोई ऐसी वस्तु दासता की निशानी तो हो ही नहीं सकती लेकिन वहीं अगर कार्यस्थल पर भी आपको यह चीजें परेशानी दे रही हैं तो भारतीय होने के नाते आपको देश की संस्कृति के लिए इसे अवश्य धारण करना चाहिए. सिंदूर, बिंदी, चूड़ी और साड़ी भारतीय नारी की पहचान हैं न कि उसकी दासता की परिचायक हैं.
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