चरित्र समाज में किसी की पहचान का अहम हिस्सा है. इसके लिए समाज ने कुछ खास परिभाषाएं बना रखी हैं जिसके आधार पर किसी को चरित्रवान या चरित्रहीन घोषित करता है. एक अच्छे चरित्र के व्यक्ति से आमतौर पर मतलब समाज के अनुसार वह है जो बंधी-बंधाई रीतियों पर चलता हो और ऐसा कोई भी काम न करता हो, जो समाज द्वारा “गलत” साबित किया गया हो. लेकिन उसी समाज में ऐसे लोग भी अच्छे चरित्र के माने जाते हैं, जो झूठ बोलकर या कालाबाजारी कर मंदिरों में खूब दान-पुण्य करते हैं. बेशक वह बाहर से खुद को कितना भी अच्छा दिखाते हों और अंदर से बहुत खराब हों. वहीं समाज में उन लोगों को चरित्रहीन माना जाता है जो सेक्स या जीने की आजादी में समाज के बांधे हुए जंजीरों को तोड़ते हैं.
एक छोटा सा उदाहरण लीजिए कि एक लड़की अगर छोटी स्कर्ट पहनकर बाहर घूमे और वह भी अपने प्रेमी की बांहों में बांहें डालकर तो जाहिर है कि हमारा समाज उसे चरित्रहीन करार देगा बेशक से वह लड़की दिल की अच्छी हो और सिर्फ नए फैशन की वजह से उसने वह ड्रेस पहनी हो. वहीं एक लड़की जो सुबह शाम मंदिर जाती है और आसपास के लोगों से सही से पेश आती है उसे लोग चरित्रवान कहेंगे बेशक वह अपने घर में माता पिता की बेइज्जती करती हो और नित नए प्रेमी बनाती हो.
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ऊपर दिए उदाहरणों से साफ होता है कि समाज में चरित्र का मापदण्ड वह होता है जो दिखता है. यानी कि अगर आप ने ऊपरी दिखावा कर लोगों के दिलों में जगह बना ली तो आप राम वरना रावण. अंदर चाहे आप कत्ल करें या रेप कोई फर्क नहीं पड़ता. दिखता वही है जो ऊपर होता है.
इसके साथ पैसा भी चरित्र मापने का एक पैमाना माना जाता है. हमारे समाज में अधिकांशतः आदमी का चरित्र रुपए से तौला जाता है. यदि कोई व्यक्ति संपन्न है, लेकिन उसका आचरण भ्रष्ट है तो भी समाज उसे भले-मानुष के तौर पर स्वीकार लेगा, जबकि गरीब आदमी की छोटी-सी गलती से भी उस पर लोग चरित्रहीन होने का ठप्पा लगा देंगे.
आज समाज में कैरेक्टर का अर्थ सेक्सुअली नियंत्रित या संयमी से होने लगा है. कैरेक्टर एक ऐसी शब्दावली बन चुकी है जिससे सामान्य रुप से सेक्सुअली अनियंत्रित व्यवहार ही इंगित होता है. अगर कोई सेक्सुअली बहुत अनियंत्रित है और बेशक वह लोगों को कुछ नुकसान न पहुंचा रहा हो फिर भी लोग उसे चरित्रहीन करार देते हैं और नीची निगाहों से देखते हैं.
वहीं जो व्यक्ति भ्रष्टाचार में लिप्त है या किसी बडे अपराध में लिप्त है और समाज के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है फिर भी लोग उसे चरित्रहीन नहीं कहते. वह अपने बड़े से बड़े दोष को छुपाने के लिए अगर छोटा सा दान कर दे तो लोग उसे चरित्रवान कहते हैं.
मौजूदा हालातों में चरित्र की सबसे बड़ी मार पड़ी है कामयाब महिलाओं पर. अक्सर देखा जाता है जो महिलाएं या लड़कियां बाहर काम करके सफल हो जाती हैं उनके बारे में एक आम धारणा बनाई जाती है कि यह चालू है और हो न हो किसी का बिस्तर गर्म कर यहां तक पहुंची होगी. महिलाओं के साथ किसी के संबंध को हम और हमारा समाज सेक्स के नजरिए से ही देखते हैं और तुरंत अपनी विकृत धारणा उस पर आरोपित कर देते हैं. हमारा पुरुष प्रधान समाज एक स्त्री के स्वतंत्र व्यक्तित्व को स्वीकार ही नहीं कर पाता. इसलिए एक सफल स्त्री को हमेशा संदेह की नजरों से देखा जाता है.
लेकिन यही स्थिति जब खुद पर आती है तो कैसा लगता है? दूसरे की बहन-बेटियों को गलत कहना आसान है लेकिन उसकी जगह जब अपने घर की इज्जत होती है तब हम वापस आते हैं नए जमाने की बात पर. किसी के चरित्रवान और चरित्रहीन होने का चाहे समाज कोई भी पैमाना इस्तेमाल करे लेकिन हमें खुद इस तरह के कमेंट करने से बचना चाहिए.
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