सड़कों के किनारे रुमालों में नशा लेते छोटे-छोटे बच्चे तो कहीं रेल की पटरियों पर धुएं को उड़ाते नौजवान और रात के अंधेरे में नशे की चादर उड़ाता आने वाला कल. गरीबों को तो मजबूरी नशा करवा देती है लेकिन रईस और अमीर बच्चों के लिए नशा एक मजा है. नशा समाज में अपना स्टेटस बताने का एक तरीका बन गया है. स्कूल से बंक कर के पबों में दारु पीते बच्चों पर ही क्या कल का बोझ डालने का इरादा है?
बीते दिनों में ऐसे कई हादसे हुए जिन्हें सुन अभिभावकों के कान खड़े हो गए. मुबंई में जहां मैनेजमेंट के छात्रों ने देर रात तक शराब पार्टी की तो वहीं आईआईटी में छात्रों ने एक अजीब सा खेल खेला जो अश्लीलता से भरा था. यह सब तो बडी खबरें थी लेकिन आप और हम जो मध्यम वर्गीय हैं उनके लिए भी खबर अच्छी नहीं है. दिल्ली समेत कई महानगरों में स्कूली छात्र भी नशा करते पाए गए हैं.
नशा करते इन बच्चों में ज्यादातर इस बात के लिए आकर्षण रहता है कि वह अपने दोस्तों में किस तरह दबंग वाली इमेज बना सकें. अक्सर देखने में आता है कि अपने पिता या आसपास के लोगों को देखते हुए टीनएजर्स नशा लेते हैं. सिगरेट पीते समय अपने आप को हीरो समझने वाले इन बच्चों में से ज्यादातर दोस्तों के कहने पर नशा करते हैं. विशेषकर किसी खास फंक्शन या पास होने की खुशी में पहली बार नशा करने वालों की संख्या ज्यादा है जो अभिभावकों के लिए एक बुरा संकेत है. कम उम्र से ही नशा करने वाले बच्चों को आगे चलकर इसकी लत लग जाती है.
बच्चों में बढ़ती इस प्रवृति के लिए एक और बड़ी वजह जिम्मेदार है वह है टीवी और फिल्मों में दिखाए जाने वाले उत्तेजक दृश्य. जिन फिल्मी सितारों को बच्चे अपना आदर्श बना डालते हैं वह उनकी ही नकल से नशा भी करने लगते हैं. नशे के कारोबार में इनका भी समान सहयोग माना जा सकता है.
सोचने से भी डर लगता है कि हमारा आने वाला कल कितना खोखला होगा. स्कूलों में मजे के लिए शराब और सिगरेट पीने वाले बच्चे कल को हो सकता है इसके आदी बन जाएं और वह बोझ उठा ही न पाएं जो उनके कंधों पर दिया जा रहा है.
ऐसा नहीं है कि भारत में नशे के खिलाफ कोई कानून नहीं है. नशा उन्मूलन कानून के तहत 18 वर्ष से नीचे के लोगों का नशा लेना या 18 वर्ष से कम के व्यक्ति को नशीली वस्तु बेचना भी जुर्म है.
लेकिन कानून से कुछ नहीं होता है. और भारत में तो लोगों का कहना ही है कि कानून बनते ही तोड़ने के लिए हैं. ऐसे में जब तक जन जागरुकता नहीं होगी तब तक नशा मुक्त भारत देखना एक सपना ही रहेगा. अभिभावकों को बच्चों के सामने नशा करने से न सिर्फ बचना चाहिए बल्कि उन्हें समझाना भी चाहिए कि यह गलत है. आपसी बातचीत से आप अपने बच्चों का आने वाला कल सुधार सकते हैं.
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