Menu
blogid : 316 postid : 403

शादी – जीवन भर साथ निभाने का वादा


नेहा और प्रमोद दिल्ली में रहते थे, दोनों के बीच तीन साल से प्रेम-प्रसंग चल रहा था. लेकिन  विवाह के बाद केवल छह महीनों में ही उनका प्रेम दूध में आए उबाल की तरह बैठ गया. साथ मिल जवानी की आंधी में बनाए गए सपनों के तमाम महल ताश के पत्तों की तरह ढह गए. कुछ ही साल पहले उठा प्रेम का ज्वार भाटे की तरह वापस चला गया. आखिरकार एक साल बीतते-बीतते उन्हें अलग होना पड़ा और फिलहाल दोनों ही अकेलापन महसूस कर रहे हैं.

इसके ठीक विपरीत नेहा की छोटी बहन उमा का विवाह तीन साल पहले दूसरे शहर के रमेश के साथ परंपरागत तरीके से हुआ था. विवाह से पहले उनका कोई परिचय तक नहीं था और यहां तक कि शादी लगभग तय हो जाने के बाद देखने-दिखाने की बात भी केवल रस्म अदायगी तक सीमित रही. लेकिन इस सब के बाद भी वह आज भी इत्मीनान से साथ-साथ हैं.

marriage1शादी किसी के भी जीवन में एक अहम महत्व रखती है, जीवन का एक बेहद अहम फैसला होता है. किसी दूसरे के साथ अपनी आने वाली जिन्दगी को गुजारना और वह भी अपने मूल्यों और जरुरतों को दरकिनार कर, सच में बहुत मुश्किल होता है.

अगर विवाह की बात करें तो भारतीय समाज में दो तरह के विवाह होते है. पहला परंपरागत विवाह और दूसरा अपरंपरागत विवाह या प्रेम विवाह. परंपरागत विवाह माता-पिता की इच्छानुसार होता है, जबकि प्रेम विवाह में लड़के और लड़की की इच्छा और रूचि महत्वपूर्ण होती है.

आधुनिक परिप्रेक्ष्य, स्वतंत्र विचारों, पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण अधिकतर युवा आज प्रेम विवाह की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इसी के साथ आज के अधिकतर मां बाप कामकाजी हैं और वह अपने बच्चों को अधिक समय नहीं दे पाते नतीजन बच्चे घर पर अकेले रहते हैं और टीनएज की उम्र में विपरीत लिंगों में होने वाले आकर्षण को वह प्रेम मान बैठते हैं. और प्रेम की चाहत और नए जोश में बात विवाह तक पहुंच जाती है.

प्रेम विवाह के बढ़ते चलन में आज की भागती हुई जिन्दगी भी एक कारक है जहां किसी को सही से खाने तक का समय नहीं है. ऑफिस में काम करते-करते सहयोगी से प्रेम और फिर उसे आधार बनाकर होने वाले विवाह में समय और धन दोनों की बचत होती है.

shadi1लेकिन अक्सर देखा जाता है ऐसे प्रेम विवाह जिनमें आगे जानने के लिए कुछ ज्यादा नहीं होता, उनमें पति पत्नी के बीच संबंधों में अधिक समय तक गर्माहट नहीं रह पाती. नतीजन ऐसे प्रेम विवाहों में कई बार जिनमें सातों जन्म साथ रहने का वादा किया गया होता है, तलाक तक हो जाता है. वहीं परंपरागत विवाह समर्पण, विश्वास और उत्तरदायित्व के धरातल पर आधारित है. एक अरेंज्ड मैरिज में पति-पत्नी दोनों को एक दूसरे को समझने, स्वीकार करने तथा एडजस्ट करने में सहायता मिलती है.

पर यह नहीं है कि प्रेम विवाह हमेशा नाकामयाब ही हो. ऐसे भी मामले कई बार देखने में आते है जहां पारंपरिक विवाह जल्दी खत्म हो जाते हैं लेकिन प्रेम विवाह जीवन भर चलते हैं. प्रेम विवाह और पारंपरिक विवाह में एक चीज होती है जो सबसे ज्यादा रिश्ते को प्रभावित करती है और वह है शादी में मां बाप का हस्तक्षेप. प्रेम विवाह में अक्सर मां बाप ज्यादा दखल नहीं देते और आतंरिक कलह की स्थिति में मदद भी नहीं करते. यह स्थिति प्रेम विवाह वाले जोड़ों के लिए सबसे ज्यादा तनाव वाली होती है.

वर्तमान आधुनिक परिस्थिति ने निश्चित रूप से सबसे ज्यादा असर सामाजिक ताने-बाने पर ही डाला है और इसने आज ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं जहॉ युवा सही निर्णय लेने में असमर्थ हो जाता है. ये कहना तो मुश्किल है कि विवाह के संबंध में आज के दौर में कौन सी पद्धति अधिक मुफीद है किंतु सामाजिक व्यवस्था की सुदृढता के लिए परंपरागत विवाह को खारिज तो नहीं ही किया जा सकता है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh