समय का पहिया घूमता रहता है. एक समय था जब सास-ससुर चाहते थे कि उनकी बहू पढ़ी-लिखी हो, शिक्षित हो. ऐसे में घर में एक अच्छा माहौल तो बना ही रहता था, पर जब बेटा-बहू शिक्षित हों और सास- ससुर कम पढ़े-लिखे हो तो कई दिक्कते भी आती थीं. कभी बहू सास-ससुर का शोषण करने लगती थी तो कभी शिक्षा के अभाव में सास ससुर द्वारा बहू को सताया जाता था.
आज की शिक्षित बहुओं ने एक बड़ा कदम उठाया है. वह शादी से पहले यह जानने के लिए उत्सुक रहती हैं कि उनके ससुराल वालों की शिक्षा का स्तर क्या है? यानी पति के साथ उसके घर की शैक्षिक स्थिति भी भांपना चाहती है लड़कियां. एक सर्वे के अनुसार 72 प्रतिशत से अधिक भारतीय युवतियों को शिक्षित परिवार में विवाह करना पसंद है. इसके विपरीत 47 प्रतिशत भारतीय पुरुषों ने उस प्रचलन की ओर संकेत किया है, जिसमें युवतियां पहले अपने पति के परिवार की शिक्षा के बारे में जानना चाहती हैं. क्योंकि कई परिवारों की सोच का दायरा बड़ा है और वे नौकरी-पेशा वाली बहू चाहते हैं.
दहेज और दहेज प्रताड़ना : शिक्षित परिवार में विवाह की एक मुख्य वजह दहेज को भी माना जा सकता है. एक मान्यता होती है कि शिक्षित परिवार में महिलाओं का सम्मान ज्यादा होता है और वह दहेज के अधिक लोभी नहीं होते.
अपनी स्वतंत्रता : अधिकतर पढ़े-लिखे परिवारों में महिलाओं को घर में स्वतंत्रता का माहौल मिलता है. उन्हें शादी के बाद काम आदि करने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती. परिवार का साथ हमेशा मिलता है और परिवार उन्हें समझता है.
परिवार और लड़की दोनों के लिए सही : पढ़ी-लिखी बहू और शिक्षित परिवार दोनों का मेल एक खुशहाल और आनंदमयी परिवार की राह होते हैं. आज के प्रतियोगितावादी युग में खुश रहना बड़ा मुश्किल होता है, लोग जीवन की दौड़ में ऐसे उलझे होते हैं कि कुछ समय परिवार के लिए निकाल पाना मुश्किल होता है. ऐसे में आपसी समझ बेहद जरुरी होती है.
हालांकि शिक्षित परिवार में शादी की मुख्य वजह लड़कियां यह मानती हैं कि शिक्षित परिवार में उन्हें अधिक सम्मान मिलेगा.
लेकिन एक सच : इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि कई बार शिक्षित बहू ससुरालवालों का कई तरह से शोषण भी करने लगती है. वह खुद को बड़ी और बाकियों को छोटा समझने लगती है जो समाज के नजरिए से बिलकुल गलत है.
समाज के लिए यह नया परिवर्तन बेहद प्रभावशाली साबित होने वाला है क्योंकि शिक्षित परिवार होने से समाज में अच्छे बदलाव की अपेक्षा ज्यादा होती है. परिवार नियोजन, आपसी कलह से दूरी, साफ-सफाई आदि से समाज को सहायता मिलती है.
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